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पथरचट्टा का उपयोग और फायदे क्या है ?

पथरचट्टा का उपयोग और फायदे क्या है  ?

पथरचट्टा , जिसे आमतौर पर “स्टोनब्रेकर” या “चमत्कारी औषधि” भी कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है, जिसका उपयोग पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों जैसे आयुर्वेद, यूनानी, और सिद्ध चिकित्सा में सदियों से किया जा रहा है। पथरचट्टा के पत्तों का उपयोग स्वास्थ्य से संबंधित विभिन्न समस्याओं के उपचार के लिए किया जाता है। इस पौधे के पत्तों में कई औषधीय गुण होते हैं, जो इसे एक अत्यधिक प्रभावशाली प्राकृतिक उपचार बनाते हैं। इसे  “Stonebreaker” या “Phyllanthus niruri” कहा जाता है । पथरचट्टा का उपयोग मुख्य रूप से गुर्दे की पथरी (Kidney stones), लिवर की बीमारियों और अन्य कई स्वास्थ्य समस्याओं के उपचार में किया जाता है। पथरचट्टा के पौधे, उसके पत्तों और उनके लाभों के बारे में विस्तार से जानकारी दी हुई है ।

पथरचट्टा के पौधे की पहचान :

पथरचट्टा एक छोटा, बहुवर्षीय और झाड़ीदार पौधा होता है। इस पौधे की शाखाएं और तना  हरी और नरम होती हैं। इसके पत्ते छोटे और शाकाहारी होते हैं, जो घना  रूप से शाखाओं पर उगते हैं। इस पौधे में छोटे-छोटे पीले फूल होते हैं, और इसके फल छोटे, गोलाकार और हरे रंग के होते हैं। पथरचट्टा का पौधा ट्रॉपिकल एरिया में उगता है और मुख्य रूप से भारत, अफ्रीका, दक्षिण-पूर्व एशिया और कुछ अन्य ट्रॉपिकल कन्ट्रीज  में पाया जाता है ।

 

 

 

पथरचट्टा के पत्ते :

 

पथरचट्टा के पत्ते छोटे, आकार में अंडाकार और हरे रंग के होते हैं। इन पत्तियों के औषधीय गुण बहुत महत्वपूर्ण होते हैं, और यह पत्तियाँ मुख्य रूप से उन बीमारियों के इलाज में उपयोग की जाती हैं जो किडनी, लिवर और पाचन तंत्र से संबंधित होती हैं। पथरचट्टा के पत्तों में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल, और एंटीवायरल गुण होते हैं, जो शरीर को विभिन्न संक्रमणों और विकारों से बचाने में मदद करते हैं।

पथरचट्टा के पत्तों के औषधीय लाभ :

पथरचट्टा के पत्तों में विटामिन्स, खनिज, एंटीऑक्सीडेंट्स, एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल, और एंटीवायरल गुण होते हैं, जो इसे कई प्रकार की बीमारियों के उपचार के लिए प्रभावी बनाते हैं। पथरचट्टा के पत्तों का सबसे अधिक उपयोग किडनी स्टोन (गुर्दे की पथरी), लिवर की समस्याओं, और पाचन तंत्र की समस्याओं के इलाज में किया जाता है। आइए, हम पथरचट्टा के पत्तों के कुछ प्रमुख फायदों के बारे में विस्तार से जानें।

 

  1. गुर्दे की पथरी (Kidney Stones) का उपचार :

पथरचट्टा के पत्ते गुर्दे की पथरी को तोड़ने और शरीर से बाहर निकालने में बेहद प्रभावी माने जाते हैं।  पथरचट्टा के पत्तों में ऐसी विशेषताएँ होती हैं जो गुर्दे की पथरी को तोड़ने और और शरीर से बाहर निकालने में बेहद प्रभावी माने जाते हैं। इसके पत्तों में ऐसे रासायनिक तत्व होते हैं जो किडनी में जमा हुए कैल्शियम और अन्य मिनरल्स को तोड़ने में मदद करते हैं। इसके सेवन से पथरी के आकार में कमी आती है  ,  इसके सेवन से पथरी धीरे-धीरे घुलकर शरीर से बाहर निकलने लगती है। यह किडनी स्टोन के उपचार के लिए एक प्राकृतिक उपाय माना जाता है। इस कारण, पथरचट्टा को एक प्राकृतिक “स्टोनब्रेकर” के रूप में जाना जाता है। पथरचट्टा का नियमित सेवन किडनी की कार्यप्रणाली को भी बेहतर बनाता है और इससे संबंधित बीमारियों के खतरे को कम करता है।

सेवन करने  विधि : ताजे पत्तों का रस निकालकर रोजाना सुबह खाली पेट पिएं या सूखे पत्तों का पाउडर बनाकर पानी के साथ सेवन करें।

 

  1. लिवर की समस्याओं में राहत :

पथरचट्टा के पत्तों का उपयोग लिवर के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए भी किया जाता है। इसके पत्ते लिवर की सफाई, लिवर को डिटॉक्स करने का काम करता है और पाचन क्रिया को दुरुस्त करने में मदद करते हैं। यह जिगर के एंजाइम्स को सक्रिय करके लीवर की कार्यक्षमता को बढ़ाता है और लीवर संबंधित रोगों से बचाव करता है। पथरचट्टा का उपयोग हेपेटाइटिस, सिरोसिस, और अन्य लीवर रोगों के उपचार में किया जाता है।

सेवन करने   विधि : पथरचट्टा के पत्तों का काढ़ा बनाकर नियमित रूप से सेवन करें।

 

  1. पाचन तंत्र को मजबूत करना :

पथरचट्टा के पत्तों में प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं। इसके पत्तों के सेवन से गैस, कब्ज, सूजन और अन्य पाचन संबंधी समस्याओं दूर करने में मदद करता है। पथरचट्टा के पत्तों का सेवन आंतों को साफ करने और पेट में संक्रमण को रोकने में भी सहायक होता है। यह पत्तियाँ पाचन शक्ति को बढ़ाती हैं और शरीर में अपच की समस्याओं को कम करती हैं।

सेवन करने विधि : पथरचट्टा के ताजे पत्तों का रस या काढ़ा पीने से पाचन में सुधार होता है।

 

  1. शरीर में संक्रमण का इलाज :

पथरचट्टा के पत्तों में एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण होते हैं जो शरीर में बैक्टीरिया और फंगस के संक्रमण को रोकने में मदद करते हैं। यह शरीर को विभिन्न प्रकार के संक्रमणों से बचाने में सहायक होते हैं। इसके पत्तों का उपयोग त्वचा के संक्रमण, मसूड़ों की सूजन, और गले के संक्रमण में भी किया जाता है।

सेवन विधि : पथरचट्टा के पत्तों का रस दिन में 1-2 बार पिएं। यह रक्त शुद्ध करने में मदद करेगा।

 

  1. रक्त शुद्धि (Blood Purification) :

यह प्रक्रिया त्वचा के दाग-धब्बों को भी कम करने में मदद करती है।

पथरचट्टा के पत्तों में रक्त को शुद्ध करने की क्षमता होती है। यह रक्त में मौजूद विषैला पदार्थों को बाहर निकालता है और शरीर को साफ करता है। पथरचट्टा का सेवन रक्त को शुद्ध करता है और त्वचा पर होने वाले मुंहासों, दाग-धब्बों और त्वचा संक्रमण को कम करने में मदद करता है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद है, जो एनीमिया से जूझ रहे हैं या जिनकी त्वचा पर बार-बार मुंहासे होते हैं।

सेवन विधि : पथरचट्टा के पत्तों का रस दिन में 1-2 बार पिएं। यह रक्त शुद्ध करने में मदद करेगा।

  1. वजन घटाने में सहायक :

पथरचट्टा के पत्तों का उपयोग वजन घटाने में भी सहायक होता है। यह मेटाबॉलिज्म को बढ़ाकर शरीर से अतिरिक्त वसा को जलाने में मदद करता है। इसके सेवन से शरीर में जमा अतिरिक्त वसा को कम किया जा सकता है और यह वजन घटाने के लिए एक प्रभावी प्राकृतिक उपाय है।

सेवन विधि : पथरचट्टा के पत्तों का रस या काढ़ा दिन में एक बार पिएं।

 

  1. उच्च रक्तचाप (Hypertension) का इलाज :

पथरचट्टा के पत्ते उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं। इसके पत्तों में ऐसे तत्व होते हैं जो रक्तदाब को संतुलित रखने में मदद करते हैं और हृदय संबंधी रोगों से बचाव करते हैं। नियमित रूप से पथरचट्टा के पत्तों का सेवन करने से रक्तचाप सामान्य रहता है। नियमित रूप से पथरचट्टा के पत्तों का सेवन करने से हृदय रोगों के जोखिम को कम किया जा सकता है .

 

सेवन विधि : पथरचट्टा के ताजे पत्तों का रस दिन में दो बार सेवन करें।

 

  1. मधुमेह (Diabetes) में सहायक :

पथरचट्टा के पत्तों का सेवन मधुमेह के स्तर को नियंत्रित करने में सहायक होता है। यह शरीर में इंसुलिन के प्रभाव को बढ़ाता है और शुगर लेवल को सामान्य बनाए रखता है। पथरचट्टा के पत्तों में ऐसे तत्व होते हैं जो रक्त में शर्करा की वृद्धि को रोकते हैं, जिससे यह मधुमेह (Diabetes) के रोगियों के लिए एक प्राकृतिक उपचार साबित होता है। पथरचट्टा का सेवन करने से शुगर लेवल को स्थिर बनाए रखा जा सकता है।

सेवन विधि : ताजे पत्तों का रस या सूखे पत्तों का पाउडर पानी के साथ सेवन करें।

 

  1. त्वचा के रोगों में राहत :

पथरचट्टा के पत्तों का उपयोग त्वचा के संक्रमण, दाद, खाज, और फंगल संक्रमण को दूर करने में किया जाता है। इसके पत्तों में एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण होते हैं, जो त्वचा को साफ और स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं। यह त्वचा पर होने वाले किसी भी प्रकार के संक्रमण से राहत प्रदान करता है।

सेवन विधि : पथरचट्टा के ताजे पत्तों का पेस्ट बनाकर प्रभावित स्थान पर लगाएं। इसके रस को भी सेवन किया जा सकता है।

  1. शरीर के immune system को मजबूत करना :

पथरचट्टा के पत्ते शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद करते हैं। इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण शरीर को बाहरी कीटाणु से बचाते हैं और immune system को बढ़ावा देते हैं। इसके सेवन से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत किया जा सकता है।

सेवन विधि : पथरचट्टा के पत्तों का काढ़ा या रस नियमित रूप से सेवन करें।

 

पथरचट्टा के पत्तों का उपयोग कैसे करें? :

पथरचट्टा के पत्तों का उपयोग विभिन्न रूपों में किया जा सकता है:

  1. कच्चे पत्ते : पथरचट्टा के ताजे पत्तों को चबाकर या उसका रस निकालकर सेवन किया जा सकता है।
  2. पत्तियों का काढ़ा : पत्तियों को पानी में उबालकर काढ़ा बनाकार दिन में 2-3 बार लिया जा सकता है।
  3. पत्तियों का पाउडर : सूखे पत्तों को पीसकर पाउडर बना लिया जाता सकता है , जिसे पानी या शहद के साथ सेवन किया जा सकता है।

पथरचट्टा के सेवन से जुड़ी सावधानियाँ : 

 

 

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